B. R. Ambedkar was an Indian politician in the 1940s-50s who helped write the Indian constitution.
The Indian government hosts a web-page of his writings and speeches. Vol. 40, Page No. 467 is in Hindi:
फिलहाल काँग्रेस की राजनीति में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जा रही है। महिलाओं की इस काँग्रेसी राजनीति के बारे में कुछ समझ नहीं आ रहा। स्वधर्म छोड़ कर महिलाएं राजनीति करते हुए घूमें इसके जैसी शर्म की बात कोई और नहीं। महाराष्ट्र की महिलाओं द्वारा अब केवल 'कासोटा' (महाराष्ट्री ढंग से साड़ी पहनते हुए नौ गज की साड़ी का पीछे की ओर खोंसा गया सिरा। इसके खुलने से एक तरह से साड़ी खुल जाती है। व्यंजनार्थ है - लाज-शरम या मर्यादा का त्याग करना) खोलना ही बाकी रह गया है। काँग्रेस द्वारा 222 महिलाओं को लोकसभा में लेने का निर्णय लिया गया है। महिलाएं विधानसभा में जाएंगी तो पुरुष क्या करेंगे? दिन भर लोकसभा में रहने के बाद जब फाइलें बगल में दबाए महिलाएं घर लौटेंगीं तब क्या उनके पति टेबिल पर भोजन रखेंगे? ये महिलाएं दिन भर पार्लियामेंट-एसेंब्ली में जाएंगी और शाम को घर लौटने के बाद पति से पूछेंगी, अजी सुनते हो, मैं पार्लियामेंट से आ गई हूं। घर का सारा कामकाज हुआ है कि नहीं?” ये महिलाएं पार्लियामेंट में जाएंगी और उनके बच्चे कौन सम्हालेगा? एक बच्चा रो रहा है, दूसरे की नाक बह रही है, तीसरा कहीं चला गया है - कौन इन बच्चों का खयाल रखेगा? यह सब उलटा हो रहा है। यह उलटी दुनिया है। अच्छा, पार्लियामेंट में जाकर ये महिलाएं करती क्या हैं? इस बारे में कुछ कहने में मुझे शरम आती है। उनके बारे में बताने का मेरा इरादा नहीं था, लेकिन अब बता ही देता हूं। (हंसी)।
To sum up, he basically says about gender roles:
It is shameful thing that women are leaving their duties and going into politics.
The decision has been taken by the Congress to bring in 222 women into the Lok Sabha. If women go to the Legislative Assembly, what will men do?
This seems in contradiction to his contributions to women's rights in India (e.g. 1 and 2), so I am doubtful.
Is the Hindi version an accurate quote?